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भक्ति की मिसाल: इंदौर का परिवार 11 वर्षों से मुफ्त बांट रहा मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं

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इंदौर
अहिल्या की नगरी में भक्तों को बिना मोल भाव से एक परिवार पुणे की साडू की माटी से बने गणेश मूर्तियां दे रहा है। परिवार की भक्ति की अनूठी पहल एक दो दिन नहीं बल्कि पिछले 11 वर्ष से चलाई जा रही है। परिवार के छोटे-बड़े सभी पांच सदस्य मूर्ति निर्माण गुड़ी पड़वा पर पुणे से मिट्टी मंगवाकर विघ्न हर्ता की अनूठी आराधना में जुट जाते है।

भक्तों ने दक्षिणा गणेश का नाम दिया
इस परिवार की इस भक्ति को देख भक्तों ने उनके द्वारा बनाए जा रहे गणेश को दक्षिणा गणेश का नाम दिया है। आज के समय में पाई-पाई के लिए आप धापी मची हुई है, लेकिन यह न्यू राजाराम नगर स्कीम नंबर 51 में रहने वाला यह परिवार श्रद्धा के अनुरूप मिली दक्षिणा के बदले बगैर किसी मोल भाव के गणेश मूर्तियां दे रहा है।  
इनकी संख्या भी हर वर्ष 500 से ऊपर जाती है। मूर्ति ले जाने वाले लोग अपनी इच्छा के अनुरूप मूर्ति के बदले मूर्ति के स्थान पर रख देता है। पर्यावरण हितैषी मूर्तियां सुंदर मूर्तियां संदीप पडोले को बनाता है। अपनी मन पसंद की मूर्ति पसंद कर अपनी श्रद्धा के मुताबिक दक्षिणा रख, लकड़ी के पाठ पर रख सम्मान के साथ अपने घर चले जाते हैं।

पहल शुरू की तब जागरूकता का अभाव
मूर्ति बनाने वाले संदीप किशोर पडोले बताते है कि जब हमने माटी के गणेश की मूर्ति बनाना शुरू की तो उस समय माटी के मूर्ति बनाने को लेकर लोगों में जागरुकता का अभाव था। उस समय हमने पुणे से इंदौर साढू की माटी और प्राकृतिक रंगों का उपयोग कर एक से बढ़कर एक गणेश मूर्तियां तैयार करना शुरू की। इसमें शुरुआत में हमने पांच के करीब शुरुआत की थी। इसमें पिता किशोर, पत्नी मनीषा पडोले, बेटा नैतिक और भाई अमित हाथ बटा रहे है।

ऐसी हुई इसकी की शुरुआत
परिवार के सदस्य बताते है कि इसकी शुरुआत व्यवसायिक नहीं की गई। 11 साल पहले उन्होंने अपने माटी के गणेश बनाए, पास की आंटी को पसंद आए, वो ले गई। इसके बाद चार प्रतिमाएं बनाई वो भी आस पास के लोग गणेश उत्सव के लिए स्थापित करने के ले गए। इसके बाद उत्साह बढ़ा और मूर्तियां बनाना शुरू की। हमारे द्वारा बनाए गए मूर्तियां का नाम लोगों ने खुद ही दक्षिणा गणेश रख दिया। इस प्राप्त दक्षिण का उपयोग सेवा कार्य के लिए किया जाता है।

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