बिना पार्टी सिंबल के चुनाव लड़ने वालों की फेहरिस्त कम, भाजपा-कांग्रेस में ही सीधी टक्कर लोस में देखने को मिला है

नई दिल्ली
लोकसभा में अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट पर निर्दलीय प्रत्याशियों में चुनाव लड़ने की चाहत कम हुई है। पिछले दो चुनावों के आंकड़े भी यही बयां कर रहे हैं। बिना पार्टी सिंबल के चुनाव लड़ने वालों की फेहरिस्त कम हो गई है। भाजपा-कांग्रेस में ही सीधी टक्कर लोस में देखने को मिली है। अल्मोड़ा लोकसभा की बात करें तो साल 2014 में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के अलावा सात निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे। इनमें बहादुर राम धौनी, अमर प्रकाश, भगवती प्रसाद त्रिकोटी, विजय कुमार, हरीश चंद्र आर्य, बंशी राम और सज्जन लाल टम्टा ने दांव खेला। सात प्रत्याशी मिलकर लोस चुनाव में कुल 40562 वोट लाए।

जिसमें सर्वाधिक 14 हजार से अधिक वोट निर्दलीय प्रत्याशी बहादुर राम धौनी लाए। इसके पांच साल बाद 2019 के लोस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या आधी रह गई। जहां 2014 में सात निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। वहीं 2019 में यह संख्या सिमटकर सिर्फ चार पर आकर रह गई। 2019 के चुनाव में सुंदर धौनी, केएल आर्या, द्रोपदी वर्मा और एडवोकेट विमला आर्य निर्दलीय चुनाव लड़ीं। चारों प्रत्याशी मिलकर 22322 वोट लाए। सर्वाधिक दस हजार वोट निर्दलीय में सुंदर धौनी लेकर आए।

पोस्टल बैलेट मतों की संख्या 15 गुना बढ़ी
अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र में 2014 के मुकाबले 2019 में 15 गुना पोस्टल बैलेट के मतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। 2014 में डाक मत पत्रों से नौ प्रत्याशियों को 1430 वोट पड़े थे। वहीं 2019 में इसकी संख्या बढ़कर 21 हजार से अधिक हो गई। छह प्रत्याशियों को 21883 वोट पोस्टल बैलेट से मिले। निर्दलीय प्रत्याशियों को दोनों चुनावों में डाक मत पत्रों का कोई खास लाभ नहीं मिला। 2014 में सात में से छह निर्दलीय प्रत्याशियों को पोस्टल बैलेट में दहाई अंक का मत तक नहीं मिल पाया था।