आज शीर्ष 20 या 30 देश वैसे नहीं हैं, जैसे वे दो दशक पहले थे : विदेश मंत्री जयशंकर

टोक्यो
 विदेश मंत्री एस जयशंकर ने  कहा कि भारत और जापान ''पुन: वैश्वीकरण'' की ओर बढ़ रहे विश्व में स्वाभाविक साझीदार हैं और लोकतंत्र एवं बाजार (मांग एवं आपूर्ति) आधारित अर्थव्यवस्था होने के नाते दोनों देश के बीच कई बुनियादी समानताएं हैं। जयशंकर दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा के दूसरे चरण के तहत इस समय तोक्यो में है।

मंत्री ने यहां पहले 'रायसीना गोलमेज सम्मेलन' को संबोधित करते हुए कहा, ''लचीली एवं विश्वसनीय आपूर्ति शृंखलाओं और भरोसेमंद एवं पारदर्शी डिजिटल लेनदेन की व्यवस्था के साथ दुनिया पुन: वैश्वीकरण की ओर बढ़ रही है।'' उन्होंने कहा, ''आज शीर्ष 20 या 30 देश वैसे नहीं हैं, जैसे वे दो दशक पहले थे।…''

उन्होंने कहा, ''न केवल हमें प्रभावित करने वाले देश अलग हैं, बल्कि उनका सापेक्ष प्रभाव, महत्व और क्षमता भी अलग हैं। परिणामस्वरूप, नया संतुलन तलाशा जा रहा है और कभी-कभी इसे हासिल भी किया जाता है।'' जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत और जापान दुनिया के पुन: वैश्वीकरण में स्वाभाविक भागीदार हैं और लोकतंत्र तथा बाजार आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में उनके बीच बुनियादी समानताएं भी हैं।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के लिए भारत और जापान की प्रतिबद्धता को क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) हर साल आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, ''इस योगदान के मूल्य को दुनिया भर में तेजी से सराहा जा रहा है।''

'कवाड' अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के बीच चार सदस्यीय रणनीतिक सुरक्षा संवाद है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत और जापान ने जिस सहजता का निर्माण किया है वह ऐसे समय में अधिक महत्वाकांक्षी ढंग से सोचने की नींव है जब दोनों देश भविष्य के अवसरों और चुनौतियों की ओर देख रहे हैं। उन्होंने कहा, ''पिछले दशक में भारत का विकास इस साझेदारी के लिए और भी अधिक संभावनाएं पैदा करता है।''

विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की यात्रा से पहले नयी दिल्ली से जारी एक बयान में कहा था कि रायसीना गोलमेज सम्मेलन भारत और जापान के बीच 'ट्रैक 2' आदान-प्रदान को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

जयशंकर ने टोक्यो में कहा-भारत में बदलाव की तेज गति को जापान सराहे

टोक्यो
 भारतीय विदेशमंत्री डॉ. एस जयशंकर ने गुरुवार को टोक्यो में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित रायसीना राउंडटेबल सम्मेलन को संबोधित किया। जयशंकर ने भारत-जापान के संबंधों की सराहना करते हुए कहा कि भारत दक्षिण एशियाई राष्ट्र में बदलाव की गति की सराहना करता है।

यह महत्वपूर्ण है कि जापान आज भारत में बदलाव की गति की सराहना करे। भारत आज वह देश है जो हर दिन 28 किलोमीटर हाइवे बना रहा है। हर साल आठ नए हवाई अड्डे बना रहा है। यह परिवर्तन हमें और अधिक प्रभावी और विश्वसनीय साझेदार बनाता है।

उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्ष में भारत ने हर दिन दो नए कॉलेज बनाए हैं और अपने तकनीकी और चिकित्सा संस्थानों को दोगुना कर दिया है। भारत का यह परिवर्तन हमें अधिक प्रभावी और विश्वसनीय भागीदार बनाता है। फिर चाहे वह व्यापार करने में आसानी हो, बुनियादी ढांचे का विकास हो, जीवन जीने में आसानी हो, डिजिटल डिलीवरी हो, स्टार्टअप हो और नवाचार संस्कृति हो। भारत आज स्पष्ट रूप से एक बहुत अलग देश है। जापान के लोगों के लिए इसे पहचानना महत्वपूर्ण है।

विदेशमंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत और जापान संयुक्त राष्ट्र संरचनाओं को और अधिक समकालीन बनाना चाहते हैं। यह स्पष्ट रूप से एक कठिन कार्य है, लेकिन इसमें हमें दो शक्तियों के रूप में दृढ़ रहना होगा। एस जयशंकर ने ग्लोबल साउथ में विकास सहायता के संबंध में जापानी सहयोग का भी आह्वान किया।