भोपाल
खेती-किसानी के बाद पशुपालन भी अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बन गया है. कृषि के साथ-साथ किसान अब दुधारु पशुओं की मदद से अतिरिक्त आय ले रहे हैं. वहीं दूध की बढ़ती डिमांड को देख अब कई लोग डेयरी फार्मिंग की तरफ भी बढ़ रहे हैं. इन सभी ग्रामीण बिजनेस में चार चांद लगाने में दुधारु पशुओं का अहम रोल है, इसलिए पशुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी पशुपालकों की होती है.यदि पशु अच्छे वातावरण में रहेंगे, पर्यावरण के बीच खुली जगह पर रहेंगे तो ज्यादा बेहतर ढंग से दूध उत्पादन कर पाएंगे. पशुओं की सेहत और उनके कंफर्ट के लिए पशुपालकों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारें भी लगातार प्रयासरत हैं.
दुधारु पशुओं को रोगमुक्त रखने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP)चलाया है. कई राज्यों में तेजी से पशुओं की यूआईडी टैगिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है. ताजा रुझानों से सामने आया है कि चाहे तो पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम हो या फिर पशुओं के कान में पीला टैग लगाना, पशुपालन से जुड़ी सुविधाओं में मध्य प्रदेश का नाम सबसे आगे आ रहा है.
इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे कि पशुओं के कान में पीले रंग का टैग यानी यूआईडी टैगिंग क्यों की जाती है और मध्य प्रदेश ने राज्य में कितने पशुओं को ये टैग देकर लाभान्वित किया है.
क्या होती है यूआईडी टैगिंग
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम चलाया है, जिसके तहत पशुओं की यूआईडी टैगिंग करके उन्हें एक पहचान दी जाती है. इस प्रोसेस में पशुओं के कान में पीला टैग लगाया जाता है, जिस पर पशुओं का आधार नंबर लिखा होता है.
ये टैग सिर्फ पशु की पहचान के लिए नहीं, बल्कि पशु को कितने टीके लग चुके हैं, इसे जानने में भी मददगार है. ये पता लगाने के लिए पशुओं के कान में लगे पीले रंग के टैग पर एक आधार नंबर भी अंकित होता है. इसी के आधार पर पशुओं का टीकाकरण करके गंभीर रोगों से बचाने में मदद मिल रही है.