कानपुर
संघ प्रमुख मोहन भागवत तीन दिन के कानपुर प्रवास पर हैं। रविवार को वाल्मीकि जयंती के मौके पर उन्होंने फूलबाग में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। इस मौके पर संघ प्रमुख ने महर्षि वाल्मीकि के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने रामायण न लिखी होती तो हमें राम भी न मिलते। उन्होंने कहा कि संघ की जितनी ताकत है, उस ताकत के साथ वाल्मीकि समाज के साथ खड़ा है।
गौरतलब है कि अभी शुक्रवार को ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने समाज में ऊंच-नीच, भेदभाव, वर्ण और जाति जैसी अवधारणाओं को पूरी तरह से त्यागने का आह्वान किया था। नागपुर में एक पुस्तक विमोचन समारोह को सम्बोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा था कि जाति व्यवस्था की अब कोई प्रासंगिकता नहीं है। डॉ.मदन कुलकर्णी और डॉ.रेणुका बोकारे द्वारा लिखित पुस्तक 'वज्रसुची तुंक' का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि सामाजिक समानता भारती परम्परा का हिस्सा थी लेकिन इसे भुला दिया गया और इसके हानिकारक परिणाम हुए।
रविवार को वाल्मीकि जयंती के मौके पर कानपुर में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने सामाजिक एकता की बात की। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक आपके पास स्वयं आएंगे। आपको आने की जरूरत नहीं, हम आपको सशक्त बनाएंगे। स्वयंसेवकों को पता है कि पूरा हिंदू समाज हमारा है। ये समाज अपना है, भारतवर्ष अपना है, जो सदैव रहेगा।
हिंदू समाज को वाल्मीकि समाज पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को वाल्मीकि समाज पर गर्व करना चाहिए क्योंकि, भगवान राम को हिंदू समाज से परिचित कराने वाले भगवान वाल्मीकि ही थे। वह अगर रामायण नहीं लिखते तो आज हिंदू समाज को भगवान राम नहीं मिलते।
इतना ही नहीं भगवती सीता को बेटी की तरह वाल्मीकि ने रखा था। उन्होंने कहा, वाल्मीकि को रामायण के लिए नारद ने प्रेरित किया था। भगवान वाल्मीकि के चलते देश में भगवान राम की पूजा होती है। सनातन धर्म में करुणा एक महत्वपूर्ण विषय है। कोई भी धर्म बिना करुणा के पूरा नहीं हो सकता है। वाल्मीकि जयंती हमारे लिए राष्ट्रीय उत्सव है।
स्वयंसेवकों ने किया पथ संचलन
तीन दिनी कानपुर प्रवास पर कानपुर पहुंचे संघ प्रमुख ने रविवार सुबह पथ संचलन का अवलोकन किया। इसके बाद वह वाल्मीकि जयंती के कार्यक्रम में पहुंचे। फूलबाग में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने आह्वान किया, कानून व्यवस्था के हिसाब से हमें काम करना चाहिए।