नई दिल्ली
तानाशाह हिटलर के देश जर्मनी ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी राग अलापाना शुरू कर दिया है। उसने कश्मीर मामले में यूएन के दखल की मांग की है। हालांकि पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद और भारत में क्रॉस बॉर्डर टेररजिम पर जर्मनी ने एक शब्द भी नहीं कहा है। भारत में जर्मनी के इस रुख की कड़ी निंदा की है और करारा जवाब दिया है। भारत ने कहा, पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की मौजूदगी में जर्मनी के विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक ने कश्मीर पर जिस तरह की बातें कही हैं, वे पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। 41 साल के विदेश मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रोजेक्टेड आतंकवाद का जिक्र क्यों नहीं किया।
क्यों पाकिस्तानी भाषा बोल रहा जर्मनी
बिलावल भुट्टो के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जर्मनी के विदेश मंत्री ने ये बातें कही थीं। दरअसल अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज की तैनाती के वक्त जिन अफगान लोगों ने जर्मन भौज की मदद की उनको बाहर निकालने के बादले पाकिस्तान फायदा उठा रहा है। हालांकि जो जर्मनी के वफादार अफगान वहां शरण ले रहे हैं उनकी संख्या केवल हजारों में हैं। इसके अलावा बर्लिन चाहता है कि सुन्नी पश्तून इमिग्रेंट्स पर लगाम कस दे जिससे वे जर्मनी ना जा सकें। इस तरह स्पष्ट है कि जर्मनी का यह रुख भी स्वार्थपूर्ण है और वह कश्मीर के लोगों का नाम लेकर मात्र स्वांग रच रहा है।
बीते दिनों पाकिस्तानी सेना के चीफ जनरल कमर बाजवा ने अपनी स्पीच में कश्मीर का जिक्र एक बार भी नहीं किया था। हालांकि शहबाज शरीफ अपनी स्पीच में कश्मीर से इधर-उधर की कोई बात ही नहीं कर सके। क्योंकि उनका मामला वोट बैंक का था। पाकिस्तान में कश्मीर के नाम पर केवल वोट बटोरने का सिलसिला चल रहा है।