आगरा
आगरा स्थित खेरिया एयरफोर्स स्टेशन कई गौरवमयी गाथाओं का प्रतीक रहा है। प्राकृतिक आपदा रही हो या फिर बाहरी आक्रमण, दोनों में आगरा एयरफोर्स स्टेशन के रणबांकुरों ने पराक्रम और साहस से दुश्मन के दांत खट्टे किए हैं। शुरुआती दौर में एयर डिपो के नाम से जाने वाला एयरफोर्स स्टेशन आज एशिया के बड़े एयरफोर्स बेसों में शुमार है। चीन-पाकिस्तान के साथ युद्धों में खेरिया एयरफोर्स स्टेशन ने शानदार काम किया था।
एशिया का सबसे बड़ा एयरबेस आगरा एयरफोर्स स्टेशन का गौरवशाली इतिहास रहा है। अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसे तैयार किया गया था। 1942 में जापान पर हमले के दौरान अमेरिकी विमान आगरा एयरबेस का इस्तेमाल सप्लाई और मेंटेनेंस के लिए करते थे। आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, रिफ्यूलर एयरक्राफ्ट और अन्य एयरफोर्स के विमान हर समय तैनात रहते हैं। यहां पर करीब 6000 से ज्यादा कर्मचारी भी तैनात हैं। आजादी के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश में 4 अंतर्राष्ट्रीय स्तर के एयरबेस की स्थापना की थी। आगरा एयरबेस इसमें से चौथा एयरबेस है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय इसे आगरा एयरड्रॉप सेंटर के नाम से जाना जाता था।
महत्वपूर्ण विमानों का बेड़ा
आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर महत्वपूर्ण विमानों का बेड़ा मौजूद रहता है। यहां एचएस 748, एएन 12एस, आईएल 76, आईएल 78, मालवाहक विमानों का बेड़ा हमेशा तैयार रहता है। आगरा एयरबेस पर देश का एकमात्र अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवॉक्स) भी तैनात है। अवॉक्स की खासियत यह है कि यह आसमान में 400 किलोमीटर दूर तक की गतिविधियों पर नजर रख सकता है। इसलिए आगरा से ही पड़ोसी देश पाकिस्तान हो या चीन सभी पर नजर रखी जाती है। अवॉक्स से देश की हवाई निगरानी की जाती है।