प्रयागराज
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी से बाहर किए गए सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के 2090 तदर्थ शिक्षकों को मानदेय पर रखने की तैयारी है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से तदर्थ शिक्षकों को निश्चित मानदेय पर रखने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। कॉलेज प्रबंधकों ने नियम विरुद्ध तरीके से इनकी नियुक्ति की थी।
संजय सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने तदर्थ शिक्षकों को प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) 2021 में एक अवसर दिया था। हालांकि मात्र 40 तदर्थ शिक्षक (छह प्रवक्ता और 34 सहायक अध्यापक) ही उसमें सफल हो सके थे।
दो दशक से अधिक समय तक नौकरी के बाद अचानक से बाहर होने पर इनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया। ऐसे में प्रदेश सरकार के निर्देश पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए इनके समायोजन का प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से तैयार किया गया। प्रस्ताव में इन्हें वेतन की बजाय निश्चित मानदेय देने पर सहमति बनी है। मानदेय पर रखने के लिए जो तीन फॉर्मूला सुझाया गया है, उसमें सरकार पर एक अरब 20 करोड़ से लेकर दो अरब 41 करोड़ रुपये तक सालाना व्ययभार पड़ने का अनुमान है।