कोलकाता
लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद तृणमूल कांग्रेस के किसी भी सांसद को संसद की किसी भी स्थायी कमेटी का चेयरमैन पद नहीं दिया गया है। इसे लेकर कहा जा रहा है कि भाजपा ने बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष पद पर राज्य में मुख्य विपक्षी दल होने के बावजूद उसके किसी विधायक को नहीं बिठाने का तृणमूल से लोकसभा में हिसाब चुकता किया है।
एक-एक कर सभी पदों से तृणमूल सांसदों को हटा दिया गया
गौरतलब है कि एक समय रेल, विमान, सड़क, जहाजरानी व संस्कृति व जन वितरण प्रणाली से जुड़ीं संसद की स्थायी कमेटियों के चेयरमैन पद पर तृणमूल के सांसद आसीन थे। एक-एक करके उन सभी पदों से तृणमूल सांसदों को हटा दिया गया। अंत में तृणमूल सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय बचे थे, उन्हें भी गत मंगलवार को जन वितरण प्रणाली के लिए नए सिरे से गठित संसद की स्थायी कमेटी के चेयरमैन के पद से हटा दिया गया। उनकी जगह बंगाल से भाजपा सांसद लाकेट चटर्जी की नियुक्ति हुई है। तृणमूल ने इसकी कड़ी आलोचना की है।
तृणमूल ने जताई नाराजगी
पार्टी के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ' ब्रायन ने कहा कि तृणमूल लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी और दूसरी मुख्य विपक्षी पार्टी है इसके बावजूद उसके किसी भी सांसद को संसद की नवगठित स्थायी समितियों में से किसी में भी चेयरमैन का पद नहीं दिया गया है। मुख्य विपक्षी पार्टी (कांग्रेस) ने भी दो महत्वपूर्ण कमेटियों का शीर्ष पद खोया है। यही नए भारत की निर्मम वास्तविकता है।'
भाजपा ने दिखाया आइना
इसपर भाजपा विधायक रवींद्रनाथ माइती ने कहा-'तृणमूल को ऐसा कहने को कोई अधिकार नहीं है। वह खुद कुछ नहीं मानती। उसने बंगाल विधानसभा के इतिहास को नष्ट किया है। विधानसभा की लोक लेखा समिति के चेयरमैन का पद मुख्य विपक्षी दल के विधायक को दिया जाता है जबकि इसपर पहले मुकुल राय व उनके इस्तीफे के बाद कृष्ण कल्याणी को बिठा दिया गया। दोनों ही भाजपा छोड़कर तृणमूल में गए जबकि संसद की स्थायी कमेटियों में किसी दलबदलू को नहीं बिठाया गया है। वे सभी निर्वाचित सांसद हैं।'