सूरत
गुजरात की सूरत पुलिस ने हाल ही में दो-दो हज़ार रुपये के नकली नोटों से भरे बक्सों को एक एंबुलेंस से बरामद किए. अमूमन एंबुलेंस का इस्तेमाल बीमार या जरूरतमंद लोगों को अस्पताल तक ले जाने के लिए होता है, लेकिन सूरत में नकली नोटों को इधर से उधर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस का इस्तेमाल हो रहा था. बक्सों से करोड़ों नकली नोट बरामद किए गए. इसमें सबसे हैरान करने वाला पकड़े गए नोटों का आंकड़ा है.
बता दें कि बीते महीने 29 सितंबर को सूरत जनपद की कामरेज थाना पुलिस ने अहमदाबाद से मुंबई की तरफ जाने वाले हाईवे पर पारडी गांव के पास से एक दीकरी एज्यूकेशन ट्रस्ट की एंबुलेंस को रोक कर उसके अंदर से 25 करोड़ रुपये नकली नोटों से भरे 6 बक्से बरामद किए थे. लेकिन मंगलवार को मामले की जांच कर रही पुलिस ने खुलासा करते हुए नकली नोटों का यह आंकड़ा 316 करोड़ 98 लाख रुपए तक पहुंचने की जानकारी दी है.
वहीं नकली नोट मामले के मास्टरमाइंड विकास जैन को मुंबई से गिरफ्तार किया गया है. इतना ही नहीं तक़रीबन 317 करोड़ नक़ली रुपयों के मामले पुलिस अब तक कुल 6 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. सूरत जनपद के एसपी हितेश जॉयसर ने बताया कि सूरत की कामरेज थाना पुलिस ने मुखबिर की सूचना के आधार पर 29 सितंबर को जामनगर की एक दीकरी एज्यूकेशन चैरिटेबल ट्रस्ट की एंबुलेंस से 25 करोड़ रुपए के नकली नोट जप्त किए थे.
पुलिस ने इस मामले में एंबुलेंस के चालक हितेश परशोत्तम भाई कोटड़िया को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने 25 करोड़ रुपये तो एंबुलेंस से ही बरामद किए थे उसके बाद हितेश के घर से पुलिस ने 52 करोड़ रुपये और बरामद किए थे. हितेश ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड विकास जैन है जो मुंबई में रहता है. पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी करने के लिए कार्रवाई शुरू की और मुंबई में वीआरएल लॉजिस्टिक आंगड़िया कंपनी के मालिक विकास जैन को अरेस्ट किया. उससे हुई पुलिस की पूछताछ में उसके साथी आरोपियों नाम खुले थे जिन्होंने दान करने के नाम पर लोगों के साथ नकली नोटों के बहाने असली नोट लेकर धोखाधड़ी की थी.
एसपी हितेश जॉयसर ने बताया कि विकास जैन जब किसी व्यक्ति के साथ ट्रस्ट में दान करने के डीलिंग करता था तो वह दान की रकम का दस प्रतिशत एडवांस बुकिंग के रूप में लेता था. इसी कड़ी में इस गैंग ने राजकोट के एक व्यापारी के पास से एक करोड़ से भी अधिक की ठगी किए जाने का खुलासा हुआ है. एंबुलेंस के अंदर से 25 करोड़ बरामद होने के बाद एंबुलेंस के ड्राइवर हितेश ने पुलिस को बताया था यह फिल्मों की शूटिंग में उपयोग होने वाले रुपए हैं.
पुलिस ने उसकी बात पर भरोसा नहीं किया और उससे पूछताछ में जैसे जैसे खुलासे होते गए वैसे वैसे पुलिस अन्य लोगों तक पहुंचती गई. इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड विकास जैन है जो मुंबई में वीआर लॉजिस्टिक नाम से आंगड़िया कंपनी चलाता है. जिसके देश के कई अन्य राज्यों में भी ऑफिस हैं और उन्हीं के ज़रिए उसने ट्रस्ट का गलत तरीके से उपयोग कर नकली नोटों को असली बताकर बुकिंग के नाम पर लाखों रुपए वसूल किए.
इस पूरे मामले का मुख्य मास्टरमाइंड विकास जैन ने ना सिर्फ गुजरात में बल्कि मुंबई, दिल्ली, इंदौर और बेंगलुरु में भी पूरा नेटवर्क खड़ा किया था. तमाम राज्यों में आलीशान दफ्तर बनाए गए. सामान्य तौर पर जो कोई व्यक्ति ट्रस्ट में रुपए दान करने के लिए उससे संपर्क करता था अथवा किसी जगह कोई इन्वेस्टमेंट करना चाहता था तो वह उसके पास से रकम देख कर कैश ले लेता था. डीलिंग के दौरान आरोपी वीडियो कॉल करते थे और उस वीडियो कॉल में नकली नोट बता कर सामने वाले को विश्वास में लेते थे.
इस पूरी जांच में सूरत रूरल पुलिस के साथ बैंकर्स और आरबीआई की टीम भी मॉनिटरिंग कर रही है. पुलिस द्वारा पकड़े गए अब तक के आरोपियों के नाम हितेश परसोत्तम भाई कोटडिया, दिनेश लालजी भाई पोशिया, विपुल हरीश पटेल, विकास पदम चंद जैन, दीनानाथ रामनिवास यादव और अनुश वीरेंद्र शर्मा सामने आए हैं.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि जनवरी में उत्तर भारत से 500 करोड़ मंगाए थे ऐसा अनुमान है. हैरान करने वाली बात यह है कि पुलिस ने 2000 की और 500 की नई नोट के साथ भारत सरकार द्वारा प्रतिबंध की गई 1000 और ₹500 के नोट भी बरामद किए हैं. पुलिस को शक है कि नोटबंदी से पहले से भी इस तरह का रैकेट चलता होगा. वर्तमान में सूरत के एक बड़े कारोबारी के साथ चीटिंग करने वाले थे उससे पहले इस रैकेट का खुलासा हो गया है.