भोपाल
दशहरे पर भी बारिश के आसार हैं। अक्टूबर में पहली बार यह सिस्टम बना रहा है। इससे 5, 6 और 7 अक्टूबर को प्रदेशभर में जमकर बारिश होगी। मौसम विभाग ने 21 जिलों में हल्की से तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है। भोपाल-इंदौर में झमाझम होने की संभावना है। प्रदेश से मानसून की विदाई अभी तक की स्थिति में 15 अक्टूबर तक या उसके बाद होने की संभावना है।
पूर्वी मप्र यानी रीवा-सतना से प्रवेश करेगा
बंगाल की खाड़ी में बन रहे लो प्रेशर एरिया के कारण 4 अक्टूबर से MP में बारिश का नया सिस्टम एक्टिव हो जाएगा। यह रीवा-सतना के रास्ते MP में प्रवेश करेगा, इसलिए सबसे पहले 3 अक्टूबर को रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली में ही बारिश होगी। मौसम विभाग ने चारों जिलों में यलो अलर्ट जारी किया है। इसके बाद 8 से 11 अक्टूबर तक प्रदेश के कुछ इलाकों में हल्की से तेज बारिश हो सकती है। मुख्यत: उतरी इलाकों ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड-बघेलखंड में कहीं-कहीं और पूर्वी मध्यप्रदेश यानी महाकौशल, बुंदेलखंड-बघेलखंड में 2 दिन कहीं-कहीं बारिश हो सकती है।
बीते 24 घंटे में यहां बारिश हुई
मध्यप्रदेश के पश्चिम इलाकों यानी मालवा-निमाड़ में कहीं-कहीं हल्की रिमझिम हुई। धार, इंदौर, खरगोन, देवास, खंडवा, मंदसौर, उज्जैन, रतलाम, बड़वानी, विदिशा, नीमच और खंडवा में कहीं-कहीं हल्की बारिश हुई। अगले 24 घंटों के दौरान अलीराजपुर, बड़वानी और बालाघाट में कहीं-कहीं हल्की बूंदाबांदी हो सकती है।
मध्यप्रदेश में अब तक करीब 48 इंच बारिश हो चुकी
मध्यप्रदेश में 1 जून से लेकर अब तक 48 इंच बारिश हो चुकी है। सामान्य 38 इंच से 23% ज्यादा बारिश हो चुकी है। सबसे ज्यादा बारिश नर्मदापुरम में 71.48 इंच, भोपाल में 70 और राजगढ़ में 69 इंच हुई। प्रदेश के 32 जिलों में 40 इंच से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है
15 अक्टूबर तक प्रदेश में मानसून की गतिविधियां रहेंगी
मध्यप्रदेश में मानसून 16 जून को एक्टिव हुआ था। जुलाई में यह कुछ थमा सा रहा, लेकिन उसके बाद रफ्तार पकड़ ली। सितंबर के अंतिम सप्ताह से प्रदेश के कुछ इलाकों में रिमझिम होती रही, लेकिन अन्य इलाकों में ज्यादा बारिश नहीं हुई। अब प्रदेश में एक बार फिर सिस्टम एक्टिव होने वाला है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि अगले 2 दिन में मानसून की गतिविधियां रफ्तार पकड़ेंगी। मध्यप्रदेश में 4 अक्टूबर से बादल छाने लगेंगे। इसके बाद बारिश होने के आसार बन गए हैं। अभी बारिश की गतिविधियां 15 अक्टूबर तक चलने की संभावना है।
13 साल में तीसरी सबसे लेट विदाई
मध्यप्रदेश में 2010 से अब तक अक्टूबर में ही मानसून की विदाई होती रही है। बीते 13 साल में एक बार ही ऐसा हुआ, जब यह सितंबर में विदा हुआ। 2011 में 30 सितंबर को मानसून की विदाई हुई थी। मानसून की एंट्री 18 जून को हुई थी। इस दौरान करीब 45 इंच बारिश हुई थी। यह सामान्य से करीब 18% ज्यादा थी
यहां 40 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी
मध्यप्रदेश में इस सीजन में कई इलाकों में 40 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है। यह इलाके हैं अनूपपुर (48 इंच), बालाघाट (56 इंच), छिंदवाड़ा (63 इंच), दमोह (41 इंच), जबलपुर (50 इंच), मंडला (54 इंच), नरसिंहपुर (51 इंच), निवाड़ी (42 इंच), पन्ना (इंच 42), सागर ( 52 इंच), सिवनी (57 इंच), उमिरया (42 इंच), अगर मालवा (56 इंच), अशोक नगर (49 इंच), भोपाल (70 इंच), बुरहानपुर (45 इंच), देवास (54 इंच), गुना (65 इंच), हरदा (56 इंच), इंदौर (42 इंच), खंडवा (41 इंच), मंदसौर (41 इंच), नीमच (44 इंच), रायसेन (64 इंच), राजगढ़ (69 इंच), सीहोर (62 इंच), शाजापुर (51 इंच), श्योपुरकलां (41 इंच) और विदिशा (43 इंच) में 40 इंच से ज्यादा बारिश हुई।
15 जिलों में कम बारिश हुई
मध्यप्रदेश के रीवा, सीधी और अलीराजपुर में सबसे कम बारिश हुई है। यह तीनों रेड जोन में हैं यानी सामान्य या कोटे की 80% तक बारिश नहीं हो पाई है। इसके अलावा ग्वालियर, दतिया, छतरपुर, पन्ना, दमोह, कटनी, उमरिया, डिंडोरी, सतना, सिंगरौली, झाबुआ और धार में भी सामान्य से कम बारिश हुई है। हालांकि, यहां सामान्य कोटा 80% या उससे ज्यादा होने के कारण मौसम विभाग इन इलाकों को सामान्य बारिश वाले इलाके मान रही है।