गांधीनगर
कानून की पढाई तो लोग कर लेते हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए पढ़ाई पूरी होने के बाद इस क्षेत्र में अपना खुद का दफ्तर, इससे जुड़े काम या उपकरणों की खरीद के लिए पैसे जुटाना संभव नहीं हो पाता। ऐसे लॉ ग्रेजुएट की सहायता के लिए गुजरात सरकार उन्हें वित्तीय मदद उपलब्ध करा रही है और साथ ही साथ ऑन द जॉब ट्रेनिंग के इरादे से स्टाइपेंड भी दे रही है। गुजरात सरकार की यह योजना सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को अपना व्यवसाय शुरू कराने या उसके लायक बनाने में मदद करने के लिए चलाई जा रही है, जिसके जरिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की व्यवस्था है।
आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही गुजरात सरकार
आम तौर पर इस योजना के तहत अनुसूचित जाति के लॉ ग्रेजुएट को 7,000 रुपए का ब्याज मुक्त वित्तीय ऋण और 5,000 रूपए की वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है। सहायता प्राप्त करने का मानदंड शहरी क्षेत्र के लिए 1.50 लाख रुपए सालाना आय और ग्रामीण क्षेत्र में 1.20 लाख रुपए सालाना आय रखी गई है। इसके अलावा, एक वरिष्ठ अधिवक्ता और उसके सहायक के साथ अभ्यास करने के लिए लॉ ग्रेजुएट को तीन साल तक मासिक वजीफा भी प्रदान किया जाता है। इसके तहत पहले साल 1000 रुपए, दूसरे साल 800 रुपए और तीसरे साल 600 रुपए स्टाइपेंड सुनिश्चित है।
1,025 लाभार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य
गुजरात सरकार ने वर्ष 2020-21 में इस योजना के तहत 472 लाभार्थियों को यह सहायता और वजीफा उपलब्ध करवाया था। इस योजना के तहत समाज के हर वर्ग के लोगों को न्याय दिलाने के लिए लॉ ग्रेजुएट को तैयार करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की सरकार ने 1,025 लाभार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य तय कर रखा है।