नई दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कई दिनों तक चली खींचतान के बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने-सामने हैं। खड़गे ने रविवार को कहा कि वह इस चुनाव में किसी के विरोध में नहीं, बल्कि पार्टी को मजबूत करने के लिए उतरे हैं। उन्होंने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि उन्हें गांधी परिवार का समर्थन हासिल है। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ और युवा नेताओं के कहने पर वह चुनाव मैदान में उतरे हैं। खड़गे ने कहा कि 'एक व्यक्ति, एक पद' के सिद्धांत के तहत उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद से नामांकन के दिन इस्तीफा दे दिया। मालूम हो कि झारखंड के पूर्व मंत्री के केएन त्रिपाठी का नामांकन शनिवार को खारिज हो गया। अब कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे मैदान में रह गए हैं।
संघर्षों से भरा रहा मेरा बचपन: खड़गे
सीनियर कांग्रेस नेता ने कहा, 'मैंने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर चुनाव कैंपेन शुरू किया है। मैं हमेशा अपनी विचारधारा और नैतिकता के लिए लड़ता रहा हूं। मेरा बचपन संघर्षों से भरा रहा। मैं कई सालों तक विपक्ष का नेता, मंत्री और विधायक रहा हूं। मैं अब फिर से लड़ना चाहता हूं और उसी नैतिकता व विचारधारा को आगे ले जाने का प्रयास करूंगा।'
'केवल दलित नेता के रूप नहीं लड़ रहा चुनाव'
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'मैं यह चुनाव कांग्रेस की विचारधारा और बाबा साहब के संवैधानिक मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए लड़ रहा हूं। मैं सभी पार्टी प्रतिनिधियों और विंग का समर्थन चाहता हूं। केवल एक दलित नेता के रूप में ही मैं यह चुनाव नहीं लड़ रहा हूं, बल्कि कांग्रेस नेता के रूप में मैदान में उतरा हूं। मैं पिछले 51 वर्षों से कांग्रेस का कार्यकर्ता हूं और 55 सालों से पार्टी के लिए काम कर रहा हूं।'
17 अक्टूबर को होना है मतदान
वहीं, पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने बताया, 'कांग्रेस अध्यक्ष पद के निष्पक्ष चुनाव के लिए दीपेंद्र हुड्डा, सैयद नासिर हुसैन और मैंने कांग्रेस के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है, अब हम मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए चुनाव प्रचार करेंगे।' अगर पार्टी के इन दोनों नेताओं में से कोई भी एक अपना नामांकन वापस नहीं लेता है तो 17 अक्टूबर को मतदान होगा, जिसमें 9,000 से अधिक डेलीगेट (निर्वाचक मंडल के सदस्य) मतदान करेंगे। मतगणना 19 अक्टूबर को होगी।