भोपाल
कोविड संक्रमण के प्रति इम्युनिटी बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा बूस्टर डोज अभियान का आयोजन किया जा रहा है। अभियान का आधा चरण होने वाला है, लेकिन राजधानी भोपाल ही सबसे फिसड्डी साबित हुआ है।
चारों महानगरों में राजधानी भोपाल में ही सबसे कम बूस्टर डोज लगे हैं। यही नहीं कई छोटे और पिछडे जिलों में भी हमसे ज्यादा बूस्टर डोज लगाए जा चुके हैं। अब स्वास्थ्व विभाग का दावा है कि 17 अगस्त को होने वाले अगले महाअभियान में स्थिति सुधार ली जाएगी।
मालूम हो कि राजधानी मे अब तक 18 साल से ऊपर के सिर्फ 1.57 लाखा लोगों को ही बूस्टर डोज लगाए जा सके हैं। वहीं इस वर्ग में प्रदेश में सबसे ज्यादा टीके इंदौर में 2.75 लाख डोज लगाए जा चुके हैं।
अब तक सबसे ज्यादा बूस्टर डोज वाले जिले
275375 इंदौर
347935 मुरैना
238694 बालाघाट
221451 छिंदवाड़ा
203391 जबलपुर
189921 सतना
157762 भोपाल
भोपाल में वैक्सीनेशन की स्थिति-
लाइन : वर्कर
फस्र्ट डोज : 116723
सेकेंड डोज : 112849
प्रिकॉशन डोज : 67423
वर्ग 12 से 14 उम्र
फस्र्ट डोज : 54669
सेकेंड डोज : 24268
17 फीसदी ही टारगेट हासिल
बीते दो अभियान में राजधानी में तय टारगेट से महज 17 फीसदी टारगेट ही हासिल किया जा सका। जानकारी के मुताबिक दोनों अभियान में करीब 80 बूस्टर डोज का लक्ष्य तय किया था। अब तक 14 हजार डोज लगे। इस दौरान खंडवा, मुरैना, दतिया जैसे छोटे जिलों में 90 फीसदी तक लक्ष्य हासिल हुआ।
वर्ग 15 से 17 उम्र
फस्र्ट डोज : 148434
सेकेंड डोज : 124682
वर्ग 18 साल से ऊपर
फस्र्ट डोज : 2158616
सेकेंड डोज : 2023322
प्रिकॉशन डोज : 157762
जागरुकता की कमी
अभियान में भोपाल के पिछडऩे का कारण भले ही लोगों में जागरूकता की कमी बताई जा रही हो, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही भी है। भोपल में टीके तो लगते हैं लेकिन पोर्टल पर इनकी इंट्री अगले दो से तीन दिन तक होती रहती है। दरअसल हर जिले में 200 से ज्यादा डाटा एंट्री सेंटर तैयार किए गए हैं, लेकिन राजधानी भोपाल में सिर्फ 59 डाटा एंट्री सेंटर हैं। यही नहीं इंदौर में जहां चार सब सेंटर हैं वहीं राजधानी में सिर्फ एक सेंटर से ही सारे काम होते हैं।