अहमदाबाद
गुजरात में विधानसभा चुनाव में अधिक दिन नहीं रह गए हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने तो उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी पीएम मोदी के एक के बाद एक इवेंट के जरिए माहौल बनाने में जुटी है। हालांकि, इस बीच मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस में जिस तरह अंदरुनी कलह मची हुई है, उससे पार्टी के लिए यह चुनाव आसान नहीं होने जा रहा है। खासतौर पर तब जब तीसरे खिलाड़ी के रूप में मैदान में उतरी 'आप' कम से कम कांग्रेस का स्थान छीन लेना चाहती है। यह सब ऐसे समय पर हो रहा है जब आलाकमान नेशनल हेराल्ड केस को लेकर मुश्किलों में घिरा हुआ है।
क्यों मची है रार?
पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं राजू परमार और नरेश रावल ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि दोनों इसी महीने भाजपा का दामन थाम सकते हैं। कांग्रेस पार्टी के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि निर्दलीय विधायक रहे जिग्नेश मेवाणी को अचानक पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष जैसा अहम पद दिए जाने से पुराने नेता नाराज हैं। रावल और परमार की तरह कुछ और नेता भी पार्टी को झटका दे सकते हैं। उनका मानना है कि मेवाणी को जरूरत से ज्यादा तरजीह दी जा रही है और पार्टी के लिए सालों से काम करते आ रहे निष्ठावान लोगों को दरकिनार किया जा रहा है।
हार्दिक पटेल वाली गलती?
कांग्रेस के कुछ नेता नाम सार्वजनिक नहीं किए जाने की शर्त पर कहते हैं कि पार्टी ने एक बार फिर वही गलती की है जो हार्दिक पटेल को कमान सौंपकर की थी। पाटीदार समाज के आंदोलन से चर्चा में आए हार्दिक पटेल के सहारे पार्टी को सत्ता में आने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और फिर चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पार्टी को दगा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि अब जिग्नेश मेवाणी के रूप में भी पार्टी ने उसी तरह की गलती की है। उन्हें राजनीति का ना तो अभी अधिक अनुभव है और ना ही कार्यकर्ताओं-संगठन पर कोई पकड़।
बिगड़ेगा कांग्रेस का खेल?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी उससे लगा था कि 2022 के चुनाव में पार्टी सत्ता पर दावा पेश कर सकती है। कांग्रेस के कार्यकर्ता अब भी उत्साहित हैं, लेकिन नेतृत्व का अभाव है। पहले हार्दिक पटेल ने बिना जमीन पर उतरे समय गुजारा। हालांकि, बाद में उन्होंने कांग्रेस आलाकमान पर दोष मढ़ा कि उन्हें खुलकर काम नहीं कर दिया गया। अब पार्टी ने एक साथ 8 नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है, जिसमें जिग्नेश मेवाणी जैसे बाहर से आए नेता भी शामिल हैं। जानकारों के मुताबिक, पार्टी अभी चुनावी मोड में नहीं आ पाई है।