भोपाल
प्रदेश के किसानों (MP Farmers) के लिए अच्छी खबर है। ग्रीष्मकालीन मूंग की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिये पंजीयन पूरा हो चुका है। अब 8 अगस्त से खीरीदी की प्रक्रिया शुरू होगी। मूंग की न्यूनतम समर्थन मूल्य 7 हजार 275 रूपए प्रति क्विंटल की दर पर खरीदी जाएगी।
ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द के उपार्जन की समीक्षा करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम में समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द का उपार्जन 8 अगस्त से 30 सितम्बर तक किया जाएगा। उपार्जन में भ्रष्टाचार की संभावना नहीं हो, इसके लिए सभी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जाएँ। यदि व्यापारियों द्वारा किसानों के नाम पर मूंग और उड़द का विक्रय किया जाए तो उसकी खरीदी किसी भी कीमत पर नहीं की जाए। किसानों से ही मूंग और उड़द का उपार्जन किया जाए। छोटे किसानों की शत-प्रतिशत मूंग और उड़द के उपार्जन को प्राथमिकता दें। जहाँ तक संभव हो इलेक्ट्रानिक तोल कांटों से तुलाई की जाए। खरीदी लक्ष्य के अनुसार सुनिश्चित हो।
741 खरीदी केन्द्र
बैठक में बताया गया कि मूंग एवं उड़द के उपार्जन के लिए 741 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। अभी 32 जिलों में मूंग फसल के लिए 2 लाख 34 हजार 749 कृषकों द्वारा 6 लाख एक हजार हेक्टेयर रकबे का पंजीयन कराया गया है। इसी तरह 10 जिलों में उड़द फसल का 7 हजार 329 कृषकों द्वारा 10 हजार हेक्टेयर रकबे का उपार्जन के लिए पंजीयन कराया गया है। भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम की गाईडलाइन के अनुसार प्रतिदिन प्रति कृषक 25 क्विंटल मात्रा का उपार्जन किया जाना प्रस्तावित है।विपणन वर्ष 2022-23 के लिए मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7 हजार 275 रूपए प्रति क्विंटल और उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 हजार 300 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
इन जिलों में होगी मूंग की खरीदी
ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीदी बालाघाट, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, रायसेन, हरदा, सीहोर, जबलपुर, देवास, सागर, गुना, खण्डवा, खरगोन, कटनी, दमोह, विदिशा, बड़वानी, मुरैना, बैतूल, श्योपुरकला, भिण्ड, भोपाल, सिवनी, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, छतरपुर, उमरिया, धार, राजगढ़, मण्डला, शिवपुरी और अशोकनगर में होगी।
इन उड़द की खरीदी
उड़द की खरीदी जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, दमोह, छिंदवाड़ा, पन्ना, मण्डला, उमरिया और सिवनी सहित 10 जिलों में की जायेगी।
मंडी के रिकार्ड से होगा मिलान
राज्य सरकार ने फैसला किया है कि बाजार में ग्रीष्मकालीन मूंग की समर्थन मूल्य से कम कीमत और किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार खुद मूंग का उपार्जन करेगी। इसके लिए पहली बार मंडियों से किसानों द्वारा मूंग बेचने का रिकार्ड एकत्र करके कलेक्टरों को भेजा गया है। इससे किसान द्वारा पंजीयन में बताई जाने वाली कुल उपज का बोवनी और औसत उत्पादन के हिसाब से मिलान कराया जाएगा। इसमें अंतर पाए जाने पर मात्रा घटाकर उपार्जन किया जाएगा।