आगरा
आगरा में सिकंदरा क्षेत्र के पनवारी गांव में अनुसूचित जाति के परिवार की बेटी की बरात चढ़ाने को लेकर हुए दंगे के मामले में 32 वर्ष बाद अदालत का निर्णय आ गया। अदालत ने भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल समेत अन्य आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। दो आरोपितों की मुकदमे के विचारण के दौरान मृत्यु हो चुकी है।
सिकंदरा क्षेत्र के गांव पनवारी में 22 जून 1990 को अनुसूचित जाति के चोखेलाल की बेटी की बारात आई थी। बरात की चमक को लेकर गांव के जाट समाज के लोगों ने विरोध किया। इसको लेकर पथराव फायरिंग और आगजनी हुई। इसके बाद कर्फ्यू लगाया गया था। इस मामले में भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल समेत अन्य आरोपी थे। वर्तमान में विशेष न्यायाधीश एमपी -एमएलए कोर्ट नीरज गौतम मामले की सुनवाई कर रहे थे। आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य के अभाव में अदालत ने सभी को दोषमुक्त कर दिया।
2006 में तय हुए आरोप
12 अप्रैल 2006 को तत्कालीन स्पेशल जज जनार्दन गोयल ने मुख्य अभियुक्त चौधरी बाबूलाल, बच्चू सिंह, रामवीर, बहादुर सिंह, रूप सिंह, देवी सिंह, बाबू सिंह, विक्रम सिंह, रघुनाथ सिंह, रामऔतार, शिवराम, भरत सिंह, श्यामवीर और सत्यवीर के खिलाफ आरोप तय किए थे। विचारण के दौरान दो अभियुक्तों की मृत्यु हो गई।