वॉशिंगटन
नैंसी पेलोसी ने ताइवान पहुंचकर चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ा दिया है। हालांकि, इसके आर्थिक और सैन्य समेत कई कारण नजर आते हैं। एक ओर जहां चीन इसे 'आग से खेलना' बता रहा है। वहीं, अमेरिका भी बढ़े हुए कदम पीछे लेने के मूड में नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सवालों के बीच एक सवाल यह भी है कि अमेरिका एक ऐसे द्वीप में दिलचस्पी क्यों दिखा रहा है, जिसे वह आधिकारिक तौर पर देश भी नहीं मानता है। अमेरिका ने ताइवान के साथ रिश्तों की झलक ताइवान रिलेशन्स एक्ट (TRA) में नजर आती है। दरअसल, यह एक एक्ट का हिस्सा है, जिसका समर्थन 1979 में तत्कालीन सीनेटर जो बाइडेन ने भी किया था और बाद में राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने इसे कानून बना दिया।
ताइवान की सुरक्षा
अमेरिका, ताइवान को रक्षा के लिए जरूरी चीजें और सेवाएं उपलब्ध कराता है, जिसके जरिए ताइपेई अपनी सुरक्षा कर सके। साथ ही वह ताइवान की सुरक्षा, सामाजिक या आर्थिक व्यवस्था को खतरा पहुंचाने वाली किसी भी तरह के बल प्रयोग या दबाव को रोकने की क्षमता रखता है। हालांकि, TRA के प्रावधानों में इस बात की पुख्ता गारंटी शामिल नहीं है कि भविष्य में क्रॉस स्ट्रेट संघर्ष की स्थिति में अमेरिका, ताइवान की रक्षा के लिए आएगा।
चीन का बढ़ा है दखल
चीन ने हाल के सालों में ताइवान के पास समुद्र और हवाई क्षेत्रों में दखल बढ़ा है, जिससे संघर्ष का खतरा भी बढ़ गया है। जून में बीजिंग ने चर्चाएं तब और तेज कर दी थी, जब वहां विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ताइवान स्ट्रेट चीन के अधिकार क्षेत्र में है और इसे अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग नहीं कहा जा सकता है। इसके अलावा बीते साल चीन के सैन्य जहाजों ताइवान के आसपास जांच बढ़ा दी थी, जिसके बाद ताइवान भी सक्रिय हो गया था। खबर है कि कुछ अमेरिका जानकारों का मानना है कि चीन की सैन्य क्षमता काफी बढ़ गई हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि अमेरिका अब ताइवान की सुरक्षा पुख्ता नहीं कर सकता।
जियोस्ट्रैटेजी
अमेरिका और उसके उत्तर पश्चिम एशिया के सहयोगियों के लिए ताइवान का जियोस्टैटेजिक पहलु काफी अहम है। दरअसल, ताइवान फर्स्ट आईलैंड चेन के मध्य में है, जिसे चीन अपनी सैन्य व्यवस्था को रोकने के लिए अमेरिका की रणनीति के हिस्से के तौर पर देखता है। अब इस द्वीप के दक्षिण में बाशी चैनल है, जो लुजोन स्ट्रेट का हिस्सा है। खास बात है कि यह उन चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों में से एक हैं, जिसके जरिए चीन की नौसेना आराम से आइलैंड चेन को जोड़ता है और पश्चिमी प्रशांत तक पहुंच सकता है। खास बात है कि इसके जरिए वह गुआम, हवाई जैसे इलाकों में अमेरिका के लिए खतरा बन सकता है।
आर्थिक संबंध
अमेरिका का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ताइवान अहम साझेदारों में से एक हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते नहीं हैं, लेकिन ताइवान, अमेरिका का 8वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार हैं। वहीं, ताइवान के मामले में अमेरिका उसका दूसरा सबसे ट्रेडिंग पार्टनर है।