ओटावा
कोविड महामारी ने पूरी दुनिया में हेल्थकेयर सिस्टम को और दुरुस्त करने की आवश्यकता का अनुभव कराया था। अब जब धीरे-धीरे दुनिया इस महामारी से उबर रही है, तब एक और नाकामी सिर उठाती दिख रही है। यह नाकामी है कचरा प्रबंधन की। कनाडा की डलहौजी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में बताया कि कोविड काल में प्रयोग किए गए मास्क और पीपीई किट से कचरे का अंबार लग गया है। इस शोध ने कचरा प्रबंधन के बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकताओं पर जोर दिया है, ताकि भविष्य में ऐसी समस्या से बचा जा सके।
इंटरनेट मीडिया पर 100 से ज्यादा मामलों का किया गया विश्लेषण
शोधकर्ताओं ने इस तरह के कचरे से जीवों के प्रभावित होने की जानकारी एकत्र करने के लिए इंटरनेट मीडिया का सहारा लिया। अप्रैल, 2020 से दिसंबर, 2021 के बीच 23 देशों में 114 ऐसी घटनाओं का विश्लेषण किया गया। ज्यादातर मामलों में कचरे का शिकार पक्षी हुए थे।
बचाव के कुछ कदम
कोरोना काल में बोतल बंद सैनिटाइजर का खूब प्रयोग किया गया गया। इसकी जगह साबुन के इस्तेमाल से प्लास्टिक की खपत को कम किया जा सकता है। 'यूज एंड थ्रो यानी एक बार प्रयोग वाले मास्क के बजाय कपड़े के ऐसे मास्क का प्रयोग करना चाहिए, जिसे धोकर कई बार प्रयोग किया जा सके।' कोविड काल में क्लब, रेस्तरां में प्लास्टिक के कप, प्लेट जैसे यूज एंड थ्रो प्रोडक्ट का तेजी से प्रयोग बढ़ा। इनकी जगह दोबारा प्रयोग हो सकने वाले प्रोडक्ट अच्छा विकल्प हो सकते हैं।