जैन धर्म के 23 वे तीर्थंकर पाश्र्वनाथ जी के मोक्षकल्याणक दिवस पर 1008 अ_म तप

रायपुर
जैन साध्वी स्नेहयशा जी की पावन प्रेरणा से पाश्र्वनाथ भगवान का मोक्षकल्याणक 3, 4 और 5 अगस्त को मनाया जाएगा व  मोक्षकल्याणक के अवसर पर सामूहिक अ_म (तेला) किया जाएगा। देशभर में 1008 से ज्यादा और राजधानी रायपुर में परम पूज्य साध्वी निपुणा जी म.सा. की सुशिष्या प्रवचन प्रवीणा परम पूज्य साध्वी स्नेहयशा जी म.सा. आदि ठाणा – 7 की पावन निश्रा में 108 अ_म किया जाएगा अ_म के लिए छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों से लोगों ने अपना पंजीयन कराना शुरू कर दिया है। 23 वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ जी ने नवकार महामंत्र जाप से जलते नाग नागिन के जोड़े का उद्धार किया था। पाश्र्वनाथ जी के मोक्ष कल्याणक दिवस के अवसर पर विश्व शांति और अहिंसा परमो धर्म की भावना के साथ अ_म तप करने वाले भाई बहन 10 लाख नवकार महामंत्र का जाप करेंगे।

सिर्फ ज्ञान प्राप्त कर लेना ही पर्याप्त नहीं, ज्ञान का सार प्राप्त होना चाहिए: साध्वी स्नेहयशाश्रीजी
न्यू राजेंद्र नगर महावीर जिनालय में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान रविवार को साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने कहा कि ज्ञानसार में कहा गया है कि केवल ज्ञान प्राप्त करना पर्याप्त नहीं है अपितु ज्ञान का सार प्राप्त होना अनिवार्य है। ज्ञानसागर में ज्ञान प्राप्ति की नहीं, ज्ञान को जीने की बात कही गई है। बहुत सारा भोजन खा लेने से ताकत नहीं मिलती बल्कि उसे पचाने से हमारे शरीर को ताकत मिलती है।

उन्होंने आगे कहा कि वैसे ही ज्ञान का सार बहुत ज्ञान प्राप्त करने से नहीं बल्कि ज्ञान को जीने से प्राप्त होता है। ज्ञान सारभूत तभी होगा, जब हमारे भीतर विनय गुण विकसित होगा। जिस प्रकार हमें भोजन बाहर के रंग रूप से भी और अंदर के टेस्ट से भी सुंदर चाहिए उसी प्रकार ज्ञानी भगवान फरमाते हैं कि हमारा जीवन भी अंदर बाहर दोनों से सुंदर होना चाहिए तभी ज्ञान सार होगा। साध्वी जी ने आगे कहा कि दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं है जिसके पास ज्ञान ना हो सबके पास ज्ञान है। भले ही किसी के पास सम्यक ज्ञान हो किसी के पास विपरित ज्ञान हो या चाहे वो अज्ञानी हो।

साध्वी जी ने आगे कहा कि ज्ञान तीन प्रकार के होते हैं। पहला सम्यक ज्ञान दूसरा विपरीत ज्ञान और तीसरा अज्ञान। इसने सबसे अच्छा सम्यक ज्ञान होता है। विपरीत ज्ञान हानिकारक होता है और विपरीत ज्ञान से तो अच्छा अज्ञानी होना होता है। विपरीत ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान हो तो चलेगा पर विपरीत ज्ञान नहीं चलेगा। हमारे पास दूसरों का ज्ञान है परंतु स्वयं का ज्ञान हमारे पास नहीं है। साध्वीजी ने आगे कहा कि गुरु भगवंत को वंदन करने का उचित समय तब है जब वह प्रशांत मन से बैठे हो या आसन पर बैठे हो, मन शांत हो, आपको उत्तर देने के लिए उपस्थित हो तब बुद्धिशाली व्यक्ति आज्ञा लेकर वंदन करें, परंतु चलते-चलते नहीं। गुरु भगवंत जब आपके घर गोचरी में आते हैं तब गुरु भगवान दरवाजे के बाहर से ही धर्म लाभ कहते हैं। क्योंकि यह शिष्टाचार है, सभ्यता है। आज ज्यादातर लोग सिंगल फैमिली वाले हैं। उनकी वेशभूषा भी अजीब होती है उन्हें देखकर शर्म आ जाती है। कोई अभद्र वेशभूषा या अभद्र स्थिति में हो तो धर्म लाभ सुनते ही सभ्यता में आ जाए, इसीलिए हम गेट के बाहर से धर्म लाभ कहते हैं। आजकल की वेशभूषा को देखकर सर शर्म से झुक जाता है। हमें विचार करना है कि हम कहां जा रहे हैं, किस दिशा में बढ़ रहे हैं। आमेर के राजा ने अपनी पुत्री को कह रखा था कि मेरे सामने जब भी आओ स्वस्थ कपड़े पहन कर आना। उन्होंने स्वस्थ कपड़ा कहा स्वच्छ कपड़ा नहीं। अभद्र कपड़े हमारे विकारों को बढ़ाने में निमित्त है। आज हमारी बच्चियां क्या वस्त्र पहन रही है, यह आप लोग भी देख सकते हैं। जिस प्रकार लोहा घर के बाहर भी रखें तो कोई डर नहीं होता परंतु सोना घर के अंदर तिजोरी में ही सुरक्षित रखा जाता है, बाहर खुला नहीं छोड़ा जाता। हमारे बेटे लोहे के समान हैं और हमारी बेटियां सोने के समान है। अत: अपनी संस्कृतियों को ध्यान रखें उसे भूल कर कोई भी कार्य ना करें।

नेमिनाथ जन्मकल्याणक महोत्सव 2 को
नेमिनाथ भगवान का जन्मकल्याणक महोत्सव 2 अगस्त 2022 को प्रात: 8:00 बजे भव्य स्नान पूजा के साथ गुरुवर्याश्री की निश्रा में मनाया जाएगा। नेमिनाथ भगवान के माता-पिता बनने का रविवार को चढ़ावा बोला गया, जिसका लाभ श्रीमान सज्जन कुमार जी, शांति देवी, अजय जी, विजय जी, संजय जी कानूगा परिवार ने लिया। वहीं, 3, 4 और 5 अगस्त 2022 को पाश्र्वनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक के निमित्त अ_म का आयोजन रखा गया है। जिसका संपूर्ण लाभ श्रीमान शिवराज जी, सरोज देवी, जय जी, विजय जी बेगानी परिवार ने लिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *